ED Summons to Arvind Kejriwal: 10 प्वाइंट में समझिए दिल्ली शराब घोटाले में कैसे फंसे केजरीवाल

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ED Summons to Arvind Kejriwal

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी (ED) ने शराब घोटाले में पांचवी बार समन भेजा है. ईडी ने केजरीवाल पूछताछ के लिए पेश होने को कहा है. अभी तक ईडी का चार समन केजरीवाल दरकिनार कर चुके हैं. केजरीवाल ने ईडी के समन को गैरकानूनी करार दिया है. इस समय लोग ये जानना चाहते हैं कि आखिर दिल्ली शराब घोटाले में केजरीवाल पर क्या आरोप हैं. ईडी की चार्जशीट में केजरीवाल पर क्या आरोप लगाये गये हैं. आइए आपको सीधे और सटीक तरीके से समझाते हैं कि आखिर इसमें अरविंद केजरीवाल का नाम कैसे और क्यों जुड़ा.

Delhi Liquor Scam ED Chargesheet

1. दिल्ली शराब घोटाले की जांच कर रही ईडी (ED) ने अपनी चार्ज शीट में दावा किया है कि सरकार की नई शराब नीति दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) के दिमाग की उपज थी. ईडी की रिमांड पेपर्स में केजरीवाल का नाम मीटिंग करने, निजी व्यवसाइयों के लिए कमीशन और इस धंधे में दक्षिण भारत के बिजनेसमैन को भी आमंत्रित करने के संबंध में लिया गया है. पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002) की अब तक की गई जांच में कहा गया है कि दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 (Delhi Excise Policy 2021-22) को AAP के नेताओं और पार्टी को फंड उपलब्ध कराने के मकसद से बनाया गया था.

केजरीवाल के घर में हुई मीटिंग

2. ईडी ने नई शराब नीति घोटाले की जांच करते हुए जनवरी 2023 में दाखिल 6 आरोप पत्रों में एक में  केजरीवाल की भूमिका बताई है. ईडी ने कहा है कि केजरीवाल ने व्यवसायी समीर महेंद्रू से कहा था कि पूर्व AAP संचार प्रभारी विजय नायर ‘उनका लड़का है’. और उन्हें उस पर भरोसा करना चाहिए. एजेंसी ने सिसोदिया के तत्कालीन सचिव सी. अरविंद के दिसंबर 2022 के बयान का हवाला दिया और दावा किया कि उन्हें मार्च 2021 में केजरीवाल के आवास पर हुई मीटिंग में थोक निजी संस्थाओं के लिए 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन के बारे में बताया गया था.

3. आरोप पत्र के अनुसार, सी अरविंद ने ईडी को बताया कि मार्च 2021 से पहले मंत्रियों के समूह (सिसोदिया, सत्येन्द्र जैन और कैलाश गहलोत शामिल थे) की बैठक में थोक शराब कारोबार को निजी कारोबारियों को सौंपने के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई थी.

गोवा विधानसभा चुनाव के लिए 45 करोड़ की रिश्वत !

4. दिल्ली शराब घोटाला केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2 दिसंबर, 2023 को मामले में छठी चार्जशीट दायर की. इस चार्जशीट में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह और उनके सहयोगी सर्वेश मिश्रा का नाम है.  ईडी का दावा है कि नई शराब नीति के जरिए आम आदमी पार्टी ने 45 करोड़ की रिश्वत ली जिसे गोवा विधानसभा चुनाव 2022 में इस्तेमाल किया गया. इस चार्जशीट में पहली बार ईडी ने रिश्वत की राशि और सीधा AAP का नाम लिया.

AAP नेताओं को 100 करोड़ की रिश्वत !

5. ईडी ने अपनी चार्ज शीट में दावा किया है कि दिल्ली की नई शराब नीति के जरिए आप नेताओं को कुल 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी. 2 दिसंबर 2023 को पेश चार्ज शीट में ये भी आरोप लगाया गया है कि आप के कई नेताओं ने रिश्वत के पैसे से व्यक्तिगत लाभ उठाया. इनमें जेल में बंद दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को 2.2 करोड़, आप के पूर्व संचार प्रभारी विजय नायर को 1.5 करोड़ और संजय सिंह को 2 करोड़ नकद देने का दावा किया गया है. रिश्वत का ये पैसा कथित तौर पर शराब कारोबारी दिनेश अरोड़ा ने दिया.

6. प्रवर्तन निदेशायल ने अभी तक पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह सहित 31 व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ नई शराब नीति की जांच में 6 आरोप पत्र दायर किए हैं. मनीष सिसोदिया और संजय सिंह दोनों फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं.

7. ईडी ने दावा किया है कि AAP ने 2022 के गोवा विधानसभा चुनावों के लिए अपने अभियानों के दौरान दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति द्वारा उत्पन्न ₹ 100 करोड़ की रिश्वत का एक हिस्सा इस्तेमाल किया. इसने उत्पाद शुल्क नीति में अनियमितताओं के कारण 2,873 करोड़ रुपये के नुकसान का भी अनुमान लगाया है.

दिल्ली शराब घोटाला क्या है?

8. नवंबर 2021 में, अरविंद केजरीवाल सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक नई शराब नीति पेश की. इस नीति के तहत, सरकार ने शराब की फुटकर बिक्री से खुद को अलग कर लिया और निजी लाइसेंसधारियों को शराब स्टोर चलाने की अनुमति दे दी. सरकार ने तर्क था कि इससे कालाबाजारी पर नकेल लगेगी और सरकारी खजाना भरेगा.

दिल्ली में 32 क्षेत्र बनाये गये

9. दिल्ली सरकार की ये पॉलिसी एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर बनाई गई थी और 17 नवंबर 2021 से दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार ने लागू कर दी थी. शराब व्यवसाय के लिए नई नीति के तहत दिल्ली को 32 क्षेत्रों में विभाजित कर दिया गया. जिनमें से प्रत्येक में अधिकतम 27 दुकानें थीं.

निजी कंपनियों को दी गई दुकानें

10. दिल्ली की नई नीति के तहत, 849 शराब की दुकानें खुली बोली के माध्यम से निजी कंपनियों को दे दी गईं. व्यक्तिगत लाइसेंस के बजाय हर जोन में अलग बोली लगाई गई. आरोप है कि नई नीति के जरिए केजरीवाल की पार्टी और नेताओं ने करोड़ों रुपये का फायदा उठाया.

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