Patanjali Ayurveda: पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कोर्ट ने कहा भ्रामक विज्ञापन बर्दाश्त नहीं !

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Patanjali Ayurveda: अगर आप भी पतंजलि के प्रोडक्ट्स को 100 फीसदी शुद्ध समझ घर ला रहे हैं तो ये ख़बर आपके लिए हैं, क्योंकि पतंजलि की शुद्धता वाली 100 फीसदी गारंटी की सुप्रीम कोर्ट में धज्जियां उड़ गई. देश की शीर्ष अदालत ने बाबा रामदेव की पतंजलि को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने पतंजलि के प्रोडक्ट्स के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ अदालत के आदेश की अवहेलना करने पर पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने अगली सूचना तक पतंजलि को अपने मेडिकल उत्पादों के किसी भी तरह के विज्ञापन करने पर भी रोक लगा दी है. एलोपैथी के खिलाफ गलत सूचना देने के मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक याचिका लगाई थी जिस पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने पतंजलि ग्रुप को कड़ी फटकार लगाई.

अदालत ने कहा भ्रामक विज्ञापन बर्दाश्त नहीं

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने ‘भ्रामक और झूठे’ विज्ञापन बताया और निष्क्रियता के लिए केंद्र को आड़े हाथों लिया और कहा कि ‘पूरे देश को धोखा दिया जा रहा है, जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है, और सरकार आंखें बंद किए बैठी है.’ मामले की सुनवाई करते हुए अदालत की ओर से कहा गया कि  ‘भ्रामक विज्ञापनों को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता’.  आईएमए का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पतंजलि ने योग की मदद से मधुमेह और अस्थमा को ‘पूरी तरह से ठीक’ करने का दावा किया था.

IMA की याचिका में उठाए गए सवाल?

पिछले साल नवंबर में, आईएमए ने एक याचिका याचिका दायर की थी. जिसमें आरोप लगाया गया था कि पतंजलि की ओर से कोविड-19 टीकाकरण के खिलाफ एक बदनामी अभियान आयोजित किया गया था,  जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने केंद्र से परामर्श करने और आगे आने के लिए कहा था.

Supreme Court ने पतंजलि को क्या कहा ?

‘पतंजलि आयुर्वेद के सभी झूठे और भ्रामक विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा, यह अदालत ऐसे उल्लंघनों को बहुत गंभीरता से लेगी’. पीठ ने मामले को फरवरी के लिए पोस्ट करने से पहले ये बात कही. वहीं इस मामले में योगगुरू रामदेव ने भी शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें कोर्ट ने 9 अक्टूबर को मामलों को रद्द करने की उनकी याचिका पर केंद्र और एसोसिएशन को नोटिस जारी किया था. इतना ही नहीं योगगुरू पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188, 269, 504 के तहत मामला दर्ज किया गया है. आईएमए (IMA) की शिकायत की मानें तो रामदेव कथित तौर पर मेडिकल फील्ड में इस्तेमाल की जा रही दवाओं के खिलाफ सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैला रहे थे. कोर्ट ने अगली सुनवाई 15 मार्च को तय की है.

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