Uttarakhand UCC Bill 2024: जब-जब प्यार पे पहरा हुआ है, तब-तब प्यार और भी गहरा हुआ है. 90 के दशक में आई फिल्म सड़क का ये सुपहरिट गाना सुनकर बहुत से दिलों में मोहब्बत जागी होगी. लेकिन उत्तराखंड सरकार जो कानून लेकर आई है उसे तोड़ने पर प्यार गहरा नहीं बल्कि जेल के पहरे में बीतेगा. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 6 फरवरी को विधानसभा में उत्तराखंड समान नागरिक संहिता बिल 2024 (यूनिफॉर्म सिविल कोड) पेश किया. इस विधेयक में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और लिव-इन रिलेशन को लेकर कड़े प्रावधान किए गये हैं. आइये आपको बताते हैं उत्तराखंड समान नागरिक संहिता क्या है.
1. उत्तराखंड यूसीसी में लिव-इन रिलेशन के नियम
विधेयक राज्य के भीतर किसी भी व्यक्तियों के लिव-इन संबंध के लिए कानून बनाता है. चाहे वे उत्तराखंड के निवासी हों या नहीं. विधेयक के धारा 381 की उप-धारा (1) के तहत लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन अपने इलाके रजिस्ट्रार ऑफिस में कराना अनिवार्य है.
2. लिव-इन रिलेशन में सजा का प्रावधान
लिव-इन रिलेशन में रहने वालों की रजिस्ट्रार जांच करेगा. ऐसे जोड़े जो एक महीने के भीतर लिव-इन रिलेशन का रजिस्ट्रेशन नहीं कराते उन्हें तीन महीने की सजा या 10 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है. रिश्ता खत्म होने पर भी इसकी जानकारी उसी रजिस्ट्रार ऑफिस में देनी होगी.
3. ऐसे लिव-इन रिलेशन का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा
ऐसे लिव-इन संबंधों का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा जिनमें कोई एक पार्टनर नाबालिग हो, कोई एक शादीशुदा हो या फिर दोनों में कोई खून का संबंध हो. साथ ही रिश्ते वैध तभी माने जायेंगे जब दोनों में सहमति हो.
4. एक से अधिक या बहुविवाह पर रोक
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता की धारा 4 के तहत, बिल में विवाह के लिए पांच शर्तों रखी गई हैं. विधेयक के मुताबिक विवाह किसी पुरुष या महिला के बीच ही हो सकता है. विवाह के समय किसी भी पक्ष का दूसरा जीवनसाथी नहीं होना चाहिए. ये नियम सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होता है.
5. हर शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
शादी के लिए पुरुष की उम्र 21 और लड़की की उम्र 18 साल होना जरूरी है. धार्मिक रीति रिवाज से हुई शादी का भी रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा. बिना रजिस्ट्रेशन की शादी को वैध नहीं माना जायेगा.
6. सभी धर्म की शादी पर एक कानून
उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता बिल में तलाक को लेकर स्पष्ट कानून बनाये गये हैं. इसमें कहागया है कि शादी के एक साल तक पति या पत्नी तलाक के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं. इसके साथ ही मुस्लिम धर्म के तीन तलाक, हलाला और इद्दत जैसी प्रथाएं खत्म हो जायेंगे. ये कानून सभी धर्मों पर बराबर लागू होती हैं.
7. हर रिश्ते के बच्चे को संपत्ति का अधिकार
उत्तराखंड यूसीसी बिल 2024 में ये भी प्रावधान है कि किसी भी रिश्ते से जन्मे बच्चे का उसके माता-पिता की संपत्ति में समान अधिकार होगा.
8. आदिवासी समुदाय पर लागू नहीं होगा उत्तराखंड यूसीसी
उत्तराखंड यूसीसी विधेयक के प्रावधान आदिवासी समुदायों पर लागू नहीं होंगे. विधेयक कहता है, इस संहिता की कोई बात भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के साथ अनुच्छेद 366 के खंड (25) के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति के सदस्यों और उन व्यक्तियों और व्यक्तियों के समूह पर लागू नहीं होगी जिनके प्रथागत अधिकार भारत के संविधान के भाग 21 के अधीन संरक्षित हैं.
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता बनाने के लिए पुष्कर सिंह धामी सरकार ने एक कमेटी बनाई थी. कमेटी ने करीब ढाई लाख सुझावों पर अध्ययन करके ये ड्राफ्ट तैयार किया है. अब ये बिल उत्तराखंड विधानसभा में पास किया जायेगा. उसके बाद राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा. राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही ये कानून बन जायेगा.
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