Bihar Politics:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पहली बार 3 मार्च 2000 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. लालू प्रसाद यादव के शासन को जंगलराज बताकर उन्होंने चुनाव लड़ा था. 2000 से लेकर 2022 तक नीतीश कुमार 8 बार सीएम पद की शपथ ले चुके हैं. पिछले 7 साल में वो चार बार गठबंधन बदल चुके हैं. इसी के चलते आरजेडी नेता उन्हें पलटू राम कहने लगे. नीतीश कुमार की सियासत मौसम से भी ज्यादा अनिश्चित रही है. आईये आपको बताते हैं नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री कार्यकाल कैसा रहा और 22 साल में कब-कब वो पलटी मार चुके हैं.
नीतीश कुमार ने कितनी बार शपथ ली- How Many Times Nitish Kumar Become CM
कार्यकाल | कब से | कब तक | गठबंधन |
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पहली शपथ | 3 मार्च 2000 | 10 मार्च 2000 | NDA |
दूसरी शपथ | 24 नवंबर 2005 | 26 नवंबर 2010 | NDA |
तीसरी शपथ | 26 नवंबर 2010 | 20 मई 2014 | NDA |
चौथी शपथ | 22 फरवरी 2015 | 20 नवंबर 2015 | NDA |
पांचवी शपथ | 20 नवंबर 2015 | 26 जुलाई 2017 | महागठबंधन |
छठी शपथ | 26 जुलाई 2017 | 16 नवंबर 2020 | NDA |
सातवी शपथ | 16 नवंबर 2020 | 9 अगस्त 2022 | NDA |
आठवी शपथ | 9 अगस्त 2022 | 28 जनवरी 2024 | महागठबंधन |
नौवीं शपथ | 28 जनवरी 2024 | जारी | NDA |
पहला कार्यकाल– (2000)
3 मार्च 2000 को नीतीश पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. नीतीश तब एनडीए का हिस्सा थे. एनडीए और सहयोगी दलों के पास 151 विधायक थे जबकि लालू प्रसाद यादव के पास 324 (संयुक्त बिहार) सदस्यीय सदन में 159 विधायक थे. दोनों गठबंधन को बहुमत नहीं मिला. नीतीश सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाये और 10 मार्च को इस्तीफा दे दिया. वो केवल 7 दिन तक सीएम रहे.
दूसरा कार्यकाल (2005-2010)
2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू सबसे बड़ी पार्टी बनी. नीतीश ने बीजेपी के साथ गठबंधन करके दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. बीजेपी इस चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी. नीतीश पूरे 5 साल सीएम रहे.
तीसरा कार्यकाल (2010-2014)
2010 के चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी के साथ सत्ता में वापस आ गई और वो तीसरी बार फिर से मुख्यमंत्री बने. जेडीयू-बीजेपी गठबंधन ने इस चुनाव में 206 सीटें जीतीं, जबकि लालू की राजद को केवल 22 सीटें मिली.
चौथा कार्यकाल- (मई 2015-फरवरी 2015)
17 मई 2014 को नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा सौंप दिया. 2014 लोकसभा चुनाव में जेडीयू को केवल 2 सीटें मिली. नीतीश कुमार ने अपनी जगह जीतन राम मांझी को सीएम बना दिया. फरवरी 2015 में मांझी को हटाकर उन्होंने फिर से सीएम की शपथ ली.
पांचवां कार्यकाल- (नवंबर 2015-2017)
नवंबर 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश की पार्टी महागठबंधन (जेडीटू-आरजेडी-कांग्रेस) का हिस्सा थी. चुनाव में महागठबंधन ने 178 सीटें जीती. राजद 80 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और जदयू को 71 सीटें मिली. नीतीश कुमार ने 20 नवंबर 2015 को पांचवी बार मुख्यमंत्री की रूप में शपथ ली और तेजस्वी यादव बिहार के उपमुख्यमंत्री बने.
छठा कार्यकाल (2017-2020)
जब उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो नीतीश कुमार ने उनसे मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने को कहा. राष्ट्रीय जनता दल ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, इसलिए नीतीश 26 जुलाई 2017 को इस्तीफा दे दिया और महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए और बीजेपी के साथ सरकार बना ली और पांचवी बार सीएम पद की शपथ ली.
सातवां कार्यकाल (2020-2022)
2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए. नीतीश एनडीए के साथ चुनाव लड़े. एनडीए ने महागठबंधन की 110 सीटों की तुलना में 125 सीटें जीतकर विधानसभा में बहुमत हासिल कर लिया. उन्होंने एनडीए के शीर्ष नेताओं की उपस्थिति में 20 वर्षों में सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
आठवां कार्यकाल (अगस्त 2022- जनवरी 2024)
9 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार ने एक बार फिर बीजेपी का साथ छोड़ दिया और लालू यादव के साथ महागठबंधन में शामिल हो गए. 10 अगस्त 2022 को उन्होंने 22 साल में आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शापथ ली. 2022 से जनवरी 2024 तक वो महागठबंधन के साथ रहे.
नौंवा कार्यकाल (जनवरी 2024)
28 जनवरी 2024 को नीतीश कुमार ने एक बार फिर महागठबंधन को छोड़कर इस्तीफा दे दिया. उन्होंने बीजेपी और एनडीए के साथ जाने का फैसला किया है. उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा देकर बीजेपी के समर्थन से 9वीं बार सीएम पद की शपथ ली.
नीतीश कुमार का अति पिछड़ा वोट बैंक- Nitish Kumar Cast:
नीतीश कुमार बिहार के अतिपिछड़े समुदाय से आते हैं. नीतीश कुमार कुर्मी जाति के हैं. बिहार में अतिपिछड़ा वर्ग करीब 36 प्रतिशत है. अतिपिछड़े नीतीश कुमार का कोर वोटर है. पिछले दिनों अतिपिछड़े वर्ग के पूर्व मुख्यमंत्री और जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान हुआ था. राजनीतिक जानकारों का कहना है नीतीश कुमार को लगा होगा कि बीजेपी इसके सहारे उनके वोट बैंक में सेंध मार सकती है. शायद उनके एनडीए में जाने की एक वजह ये भी हो.
नीतीश के पास कितने विधायक
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के पास अभी 43 विधायक हैं और वो तीसरे नंबर की पार्टी है. बीजेपी के 74 और आरजेडी के 75 विधायक हैं. तीसरे नंबर की पार्टी होने के बावजूद नीतीश कुमार सीएम हैं. क्यों अतिपिछड़ा वोट पर उनका कब्जा है.